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नवरात्र देवी दुर्गा मां को समर्पित हिंदुओ का सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण त्योहार है। नवरात्रि मे माता के नव रूपो की पूजा की जाती है। वैसे तो नवरात्रि साल मे चार आती है परंतु केवल दो ही नवरात्र मे मा की पूजा बड़े ही हर्ष व उल्लास के साथ मनाई जाती है। बाकी के दो नवरात्र जिनको गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि क्यो मनाते है? तथा इसके पीछे क्या कारण है? इन सबका जवाब आप सब को इस लेख के माध्यम से मिल जायेगा।
Navratri Essay in Hindi के बारे मे सभी बच्चो को जानना जरूरी है। अगर आप के स्कूल मे (नवरात्रि पर निबंध) लिखने के लिए आ जाये तो आप इस पेज के जरिए निबंध तैयार कर सकते है। और बडी आसानी से इसको लिख भी सकते है।
नवरात्रि नव रात्रो तक चलने वाला एक हिंदुवो का प्रमुख त्योहार है। नवरात्रि पर माता के नव रूपो की आराधना की जाती है। यह पर्व दस दिनो का होता है नव दिनो तक माता के अलग – अलग नव रूपो की पूजा की जाती है तथा व्रत, उपवास भी रखा जाता है। उसके बाद दसवे दिन लोग पारणा करके अपने व्रत व उपवास को खत्म कर देते है।
नवरात्रि को हम नवरात्रा, नवराते व लोग गावों की भाषा मे इसे नवरता भी कहते है। नवरात्र मे लोग विधि – विधान पूर्वक पूजा अर्चना और उपवास का अनुष्ठान करते है।देवी मंदिरो मे लोगो का तांता लगा रहता है। वर्ष मे यह त्योहार चार बार आता है लेकिन दो बार का नवरात्र गुप्त होता है। गुप्त नवरात्र मे भी माता के रूपो की पूजा की जाती है। चुंकि गुप्त होने की वजह से इसका बहुत ज्यादा लोगो मे उत्साह नही रहता परंतु ज्ञानी लोग इसमे भी अपने तरीके से पूजा पाठ करते है। बाकी के दो नवरात्रि जिसमे पहला (चैत्र मास) अप्रैल या मार्च मे तथा दूसरा (शारदीय नवरात्रि) यानि अक्टूबर के महीने मे मनाया जाता है।
नवरात्रि का पर्व नवदुर्गा देवी मां को समर्पित है। देश के अलग – अलग हिस्से मे अलग – अलग तरीके से इसको मनाया जाता है। मुख्य रूप से लोग पूजा – पाठ एवं नव दिनो का उपवास रखते है। नवरात्रि के पहले दिन लोग घटस्थापना करते है। उसके बाद नव दिनो तक मा भगवती के नवो रूपो की पूजा की जाती है। तथा दसवे दिन पारणा करके व्रत तो तोड दिया जाता है। कुछ जगह पर लोग गरबा भी करते है। नवरात्रि व्रत मे आप फलाहार का सेवन कर सकते है।
नव दिन के व्रत के बाद दसवे दिन लोग 9 कन्या भोज तथा ब्रह्मण भोज करके स्वयं पारणा कर लेते है। नवरात्रि पारणा के दिंन लोग सुबह उठकर जल्दी स्नान ध्यान क्रिया से निव्रति होकर पंडित को बुलाकर हवन आदि सम्पन्न करवाते है उसके बाद कन्या भोज तथा ब्रह्मण भोज करके स्वयं पारण कर लेते है।
मां दुर्गा के नव रूप
शैलपुत्री : नवरात्रि के प्रथम दिवस मा शैलपुत्री की पूजा की जाती है।
ब्रह्मचारिणी – नवरात्रि के दूसरे दिवस मा ब्रह्मचारिणी की पूजा एवं आराधना की जाती है।
चंद्रघंटा – शौर्य की देवी मां चंद्रघंटा को तीसरा दिन समर्पित है।
कुष्मांडा – चौथे दिन माता कुष्मांडा की पूजा एवं अर्चना की जाती है। जीवन मे दुखो का नाश तथा सुख समृद्धि प्रदान करने वाली माता कुष्मांडा की पूजा की जाती है।
स्कंदमाता – पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है।
कात्यायनी – माता कात्यायनी की पूजा छठे दिन की जाती है। माता का यह रूप शक्तिस्वारूपा है।
कालरात्रि – माता के सबसे विचित्र रूप (काली) के आराधना सातवे दिन की जाती है। माता कालरात्रि दुष्टो का संघार करने वाली देवी रूप मे विद्द्य्मान है।
महागौरी – नवरात्रि का आठवा दिन माता महागौरी को समर्पित है। इस दिन शांति की प्रतीक मा महागौरी की पूजा की जाती है।
सिद्धिदात्री – यह दिन विशेष होता है इस दिन को नवमी के रूप मे भी मनाया जाता है। नवरात्रि के नवम दिवस मा सिद्धिदात्री की पूजा एवं आराधना की जाती है।
नवरात्रि पर क्या करने से बचना चाहिए?
माता दुर्गा के नव रूपो की आराधना वाला दिन नवरत्रि पर लोगो को कुछ सावधानियां भी रखनी चाहिए नही तो माता नाराज़ हो सकती है –
1 – नवरात्रि के दिनो मे बाल, नाखून काटने से परहेज करें
2 – शुद्ध आहार खाने मे ले
3 – ब्रह्म्चर्य का पालन करें
4 – क्रोध ना करें
5 – बडे बुजुर्गो की सेवा करें
चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल 2024, से शुरु होकर 18 अप्रैल 2024 तक है।
शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर 2024 से शुरु होकर 12 अक्टूबर 2024 तक है।
नवरात्रि मनाने के कारण
महिषासुर और माता दुर्गा के युद्ध से भी जुडी कथा है। मान्यता है कि महिषासुर और माता का भीषण युद्ध आठ दिनो तक चला उसके बाद नवे दिन माता ने अर्थात नवमी के दिन ही माता ने महिषासुर के कर्मो के अनुसार उसका वध किया था। नवरात्रि मे देवी के नवो रूपो की पूजा का विधान एक साथ है। माता नवदुर्गा अलग – अलग रूपो मे विराजमान भक्तो को फल प्रदान करती है। राम और रावण के युद्ध से भी यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत से जुडा हुआ है।
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